"मुख बाल रवि सम लाल होकर, ज्वाल सा बोधित हुआ" ,प्रस्तुत पंक्ति में कौन सा अलंकार है ? ("mukh baal ravi sam laal hokar, jvaal sa bodhit hua" ,prastut pankti mein kaun sa alankaar hai?) - www.studyandupdates.com

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"मुख बाल रवि सम लाल होकर, ज्वाल सा बोधित हुआ" ,प्रस्तुत पंक्ति में कौन सा अलंकार है ? ("mukh baal ravi sam laal hokar, jvaal sa bodhit hua" ,prastut pankti mein kaun sa alankaar hai?)

"मुख बाल रवि सम लाल होकर, ज्वाल सा बोधित हुआ" ,प्रस्तुत पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

  1. लाटानुप्रास अलंकार
  2. उपमा अलंकार
  3. श्लेष अलंकार
  4. वक्रोक्ति अलंकार

उत्तर- उपमा अलंकार




उपमा अलंकार की परिभाषा :- जब दो अलग अलग वस्तुओं में उनके रूप, गुण, व समान धर्म के कारण समानता दिखाई जाती है वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।


सरल शब्दों में कहें तो जब दो अलग अलग वस्तुओं को एक समान बताने का प्रयास किया जाता है वहां पर उपमा अलंकार होता है।




मैथिलीशरण गुप्त और अर्जुन की प्रतिज्ञा


उस काल मारे क्रोध के तन कांपने उसका लगा,

मानों हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा।

मुख-बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल सा बोधित हुआ,

प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ क्या काल ही क्रोधित हुआ?



रोष के मारे...

युग-नेत्र उनके जो अभी थे पूर्ण जल की धार-से,

अब रोष के मारे हुए, वे दहकते अंगार-से ।

निश्चय अरुणिमा-मित्त अनल की जल उठी वह ज्वाल सी,

तब तो दृगों का जल गया शोकाश्रु जल तत्काल ही।

 

साक्षी रहे...


साक्षी रहे संसार करता हूँ प्रतिज्ञा पार्थ मैं,

पूरा करुंगा कार्य सब कथानुसार यथार्थ मैं।

जो एक बालक को कपट से मार हँसते हैँ अभी,

वे शत्रु सत्वर शोक-सागर-मग्न दीखेंगे सभी।

 

जो मूल है...


अभिमन्यु-धन के निधन से कारण हुआ जो मूल है,

इससे हमारे हत हृदय को, हो रहा जो शूल है,

उस खल जयद्रथ को जगत में मृत्यु ही अब सार है,

उन्मुक्त बस उसके लिये रौ'र'व नरक का द्वार है।


मृत्यु का भी दंड...


उपयुक्त उस खल को न यद्यपि मृत्यु का भी दंड है,

पर मृत्यु से बढ़कर न जग में दण्ड और प्रचंड है ।

अतएव कल उस नीच को रण-मध्य जो मारूँ न मैं,

तो सत्य कहता हूँ कभी शस्त्रास्त्र फिर धारूँ न मैं।


प्रण है यही...


अथवा अधिक कहना वृथा है, पार्थ का प्रण है यही,

साक्षी रहे सुन ये वचन रवि, शशि, अनल, अंबर, मही।

सूर्यास्त से पहले न जो मैं कल जयद्रथ-वध करूँ,

तो शपथ करता हूँ स्वयं मैं ही अनल में जल मरूँ।








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