(lapatee puhup-paraag-pat sanee sed-makarand.) लपटी पुहुप-पराग-पट सनी सेद-मकरंद। - - www.studyandupdates.com

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(lapatee puhup-paraag-pat sanee sed-makarand.) लपटी पुहुप-पराग-पट सनी सेद-मकरंद। -

लपटी पुहुप-पराग-पट सनी सेद-मकरंद।
आवति नारि-नवोढ़ लौं सुखद वायु गति-मंद॥


पुहुप = फूल। पराग = फूल की धूल। पट = वस्त्र। सेद = स्वेद = पसीना। मकरंद = फूल का रस। नवोढ़ नारि = नवयौवना स्त्री, जो यौवन-मद-मत्त या स्तन-भार-नम्र होकर इठलाती (मन्द-मन्द) चलती है। लौं = समान। वायु = हवा।

अर्थ :- फूलों के पराग-रूपी वस्त्र से लिपटी हुई (आच्छादित) और मकरंदरूपी पसीने से सनी हुई (लिप्त), नवयुवती स्त्री के समान, सुख देने वाली वायु मंद-मंद गति से आ रही है।






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