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उपर्युक्त और उपरोक्त में क्या अंतर है? (uparyukt aur uparokt mein kya antar hai?)

Q. उपर्युक्त और उपरोक्त में क्या अंतर है?


---"उपर्युक्त" शब्द यण संधि के मेल से बना है यथा उपरि+ उक्त। यह सही शब्द है। जबकि "उपरोक्त" शब्द की संधि है :- उपर+उक्त, जोकि शुद्ध नही है। फिर भी सामान्यतः हिंदी भाषा मे लिखते समय आजकल कई बार "उपरोक्त" शब्द का प्रयोग भी प्रचलन में है और मान्य है।

‘उपरोक्त’ और ‘उपर्युक्त’ में से कौन-सा शब्‍द व्‍याकरण की दृष्टि से सही है?

व्‍याकरण की दृष्टि से ‘उपरोक्त’ शब्‍द अशुद्ध है और ‘उपर्युक्त’ शब्‍द शुद्ध है। आइए, जानते हैं कैसे?–

उपर्युक्त(ऊर्ध्‍व+रिल्, उप आदेश:)। ‘उपर्युक्त’ शब्‍द दो शब्‍दों – ‘उपरि+उक्त’ के मेल से बना है। उपरि (ऊपर, की ओर। ‘ऊर्द्धे ऊर्द्धायाम् ऊर्द्धात् ऊर्द्धाया: ऊर्द्धम् ऊर्द्धांम्’।) + उक्त (कहा हुआ, कथित) = उपर्युक्त। पूर्व लिखित। पूर्वोल्लिखित। जिसका उल्लेख ऊपर किया हुआ है/किया जा चुका/किया गया है। पूर्व कथित।

‘उपर्युक्त’ शब्‍द में यण् सन्धि है। “इकोयणचि” (अष्टाध्‍यायी ६।१।७७) – ‘इक: स्‍थाने यण् स्‍याद चि संहितायां विषये’ (अचि परत इको यणादेशो भवति)। इक् (इ, ई, उ, ऊ, ऋ, लृ) के स्‍थान में यण् (य, व, र, ल) हो (अर्थात् अच् परे हो/असवर्ण/असमान स्‍वर) तो सन्धि करने में – दधि+आनय=दध्‍यानय, मधु+अत्र=मध्‍वत्र, पितृ+अर्चा=पित्रर्चा (पि त् र्-अर्चा), लृ+उच्चारणम्=लुच्चारणम् (ल्-उच्चारणम्) हो जायगा।

व्‍याख्‍या

१. जब ह्रस्‍व ‘इ’ या दीर्घ ‘ई’ के बाद इ, ई को छोड़कर कोई दूसरा स्‍वर आवे तब ‘इ’, ‘ई’ के स्‍थान में ‘य्’ हो जाता है। (उपरि + उक्त = उपर्युक्त, प्रति + उपकार: = प्रत्‍युपकार:)

२. जब ‘उ’ या ‘ऊ’ के बाद उ, ऊ को छोड़कर कोई दूसरा स्‍वर आवे तब ‘उ’, ‘ऊ’ के स्‍थान में ‘व’ हो जाता है। (अनु + अय: = अन्‍वय:, वधू + आदेश: = वध्‍वादेश:)

३. जब ‘ऋ’ या ‘ॠ’ के बाद ऋ, ॠ को छोड़कर कोई दूसरा स्‍वर आवे तब ‘ऋ’, ‘ॠ’ के स्‍थान में ‘र्’ हो जाता है। (पितृ + उपदेश: = पित्रुपदेश:, मातृ + अनुमति: = मात्रनुमति:)

‘उपरि’ शब्‍द एक अव्‍यय शब्‍द है और ‘उक्त’ शब्‍द विशेषण है।







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